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ترجمة ( النور 61 ) في Hindi من طرف Muhammad Farooq Khan and Muhammad Ahmed - hi

[ अंधे के लिए कोई हरज है,लँगड़े के लिए कोई हरज है और न रोगी के लिए कोई हरज है और न तुम्हारे अपने लिए इस बात में कि तुम अपने घरों में खाओ या अपने बापों के घरों से या अपनी माँओ के घरों से या अपने भाइयों के घरों से या अपनी बहनों के घरों से या अपने चाचाओं के घरों से या अपनी फूफियों (बुआओं) के घरों से या अपनी ख़ालाओं के घरों से या जिसकी कुंजियों के मालिक हुए हो या अपने मित्र के यहाँ। इसमें तुम्हारे लिए कोई हरज नहीं कि तुम मिलकर खाओ या अलग-अलग। हाँ, अलबत्ता जब घरों में जाया करो तो अपने लोगों को सलाम किया करो, अभिवादन अल्लाह की ओर से नियत किया हुए, बरकतवाला और अत्याधिक पाक। इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतों को स्पष्ट करता है, ताकि तुम बुद्धि से काम लो ] - ترجمة ( An-Nur 61 )

[ لَيْسَ عَلَى الْأَعْمَى حَرَجٌ وَلَا عَلَى الْأَعْرَجِ حَرَجٌ وَلَا عَلَى الْمَرِيضِ حَرَجٌ وَلَا عَلَى أَنْفُسِكُمْ أَنْ تَأْكُلُوا مِنْ بُيُوتِكُمْ أَوْ بُيُوتِ آبَائِكُمْ أَوْ بُيُوتِ أُمَّهَاتِكُمْ أَوْ بُيُوتِ إِخْوَانِكُمْ أَوْ بُيُوتِ أَخَوَاتِكُمْ أَوْ بُيُوتِ أَعْمَامِكُمْ أَوْ بُيُوتِ عَمَّاتِكُمْ أَوْ بُيُوتِ أَخْوَالِكُمْ أَوْ بُيُوتِ خَالَاتِكُمْ أَوْ مَا مَلَكْتُمْ مَفَاتِحَهُ أَوْ صَدِيقِكُمْ لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ أَنْ تَأْكُلُوا جَمِيعًا أَوْ أَشْتَاتًا فَإِذَا دَخَلْتُمْ بُيُوتًا فَسَلِّمُوا عَلَى أَنْفُسِكُمْ تَحِيَّةً مِنْ عِنْدِ اللَّهِ مُبَارَكَةً طَيِّبَةً كَذَلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُمُ الْآيَاتِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ ] - النور 61